समझिए एक्जिमा और सोरायसिस को
जब स्किन की बात आती है, तो भारत जैसे विविध जलवायु वाले देश में स्किन प्रॉब्लम्स बहुत आम हैं। एक्जिमा (जिसे अक्सर चर्म रोग या खुजलीदार चकत्ते भी कहा जाता है) और सोरायसिस (जिसे कुछ लोग सूखी पपड़ीदार त्वचा के नाम से जानते हैं) – दोनों ही ऐसी स्थितियां हैं जो आपके रोज़मर्रा के जीवन को काफी प्रभावित कर सकती हैं।
भारतीय संदर्भ में एक्जिमा और सोरायसिस की आम वजहें
| कारण | एक्जिमा | सोरायसिस |
|---|---|---|
| मौसम बदलाव | गर्मी, उमस या ठंड में बढ़ना | ठंडा व शुष्क मौसम ज्यादा असर डालता है |
| आहार | मसालेदार/तेलयुक्त भोजन ट्रिगर कर सकता है | अत्यधिक जंक फूड व शराब से दिक्कत बढ़ सकती है |
| अनुवांशिकता (Genetics) | परिवार में किसी को हो तो संभावना अधिक | परिवार में इतिहास होना जोखिम बढ़ाता है |
| तनाव (Stress) | एग्जिमा के फ्लेयर-अप्स का बड़ा कारण | तनाव से सोरायसिस भड़क सकता है |
लक्षण कैसे पहचानें?
| लक्षण | एक्जिमा | सोरायसिस |
|---|---|---|
| स्किन पर चकत्ते | लाल, खुजलीदार, कभी-कभी फटने वाले धब्बे | चांदी जैसी सफेद पपड़ी के साथ मोटी लाल पट्टियां |
| स्थान | अक्सर चेहरे, हाथों, घुटनों या कोहनियों पर | कोहनी, घुटने, सिर की त्वचा पर सामान्यतः दिखता है |
सबसे ज़्यादा प्रभावित कौन?
- एक्जिमा अक्सर बच्चों में शुरू होता है, लेकिन बड़ों में भी हो सकता है।
- सोरायसिस किसी भी उम्र में हो सकता है, मगर 15-35 साल की उम्र में ज़्यादा देखने को मिलता है।
ध्यान देने वाली बातें:
- अगर आपके परिवार में किसी को यह समस्या रही हो तो आपको थोड़ा सतर्क रहना चाहिए।
- भारत के अलग-अलग क्षेत्रों की अलग-अलग जलवायु इन स्किन कंडीशन्स पर असर डाल सकती हैं। इसलिए अपनी त्वचा के हिसाब से देखभाल जरूरी है।
2. हाइजीन और स्किन केयर का सही तरीका
एक्जिमा और सोरायसिस जैसी स्किन समस्याओं के लिए रोज़मर्रा की हाइजीन और स्किन केयर रूटीन बहुत अहम होती है। भारतीय मौसम, खानपान और घर के माहौल को ध्यान में रखते हुए, कुछ देसी उपाय भी बेहद असरदार साबित हो सकते हैं। यहां हम आसान भाषा में समझेंगे कि स्किन को कैसे साफ़, धोया और मॉइस्चराइज किया जाए, साथ ही कौन-कौन से भारतीय घरेलू नुस्खे इसमें मददगार हैं।
स्किन को रोज़ाना साफ करने का तरीका
- हल्के साबुन या क्लींजर: बाजार में मिलने वाले हार्श केमिकल्स वाले साबुन से बचें। मुल्तानी मिट्टी या बेसन जैसे नैचुरल क्लीनज़र इस्तेमाल करें।
- गुनगुने पानी से धोएं: बहुत गरम या ठंडा पानी स्किन को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए हमेशा गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें।
- तौलिए से हल्के हाथ पोछें: नमी बनाए रखने के लिए तौलिए से हल्के हाथों से थपथपा कर सुखाएं, ज्यादा रगड़ना नहीं चाहिए।
मॉइस्चराइजिंग कैसे करें?
- नहाने के तुरंत बाद: जब स्किन थोड़ी गीली हो तभी मॉइस्चराइज़र लगाएं, ताकि नमी लॉक हो सके।
- देसी ऑयल्स का इस्तेमाल: नारियल तेल (कोकोनट ऑयल), तिल का तेल या सरसों का तेल स्किन के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। ये स्किन को डीपली मॉइस्चराइज करते हैं और खुजली कम करते हैं।
- ऐलोवेरा जेल: घर पर उगाए गए ऐलोवेरा का जेल सीधे स्किन पर लगाया जा सकता है, इससे जलन और सूजन दोनों में आराम मिलता है।
भारतीय घरेलू उपाय जो मददगार हैं
| घरेलू उपाय | कैसे इस्तेमाल करें? | फायदे |
|---|---|---|
| मुल्तानी मिट्टी (Fullers Earth) | पानी या गुलाबजल में मिलाकर पेस्ट बना लें, चेहरे या प्रभावित जगह पर लगाएं, 10 मिनट बाद धो लें। | सॉफ्ट क्लीनज़िंग, त्वचा की गंदगी हटाता है। |
| नारियल तेल (Coconut Oil) | रात को सोते समय प्रभावित हिस्से पर लगाएं और हल्के हाथों से मसाज करें। | स्किन को नमी देता है, सूजन व खुजली कम करता है। |
| हल्दी पेस्ट (Turmeric Paste) | हल्दी पाउडर में थोड़ा पानी मिलाकर पेस्ट बनाएं, हल्की मात्रा में प्रभावित जगह पर लगाएं। | एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुणों से राहत मिलती है। |
| एलोवेरा जेल (Aloe Vera Gel) | एलोवेरा की पत्ती काटकर जेल निकालें और सीधा स्किन पर लगाएं। | ठंडक पहुंचाता है, जलन व लालिमा कम करता है। |
कुछ खास टिप्स जो रोजमर्रा में अपनाए जा सकते हैं:
- पर्याप्त पानी पिएं: शरीर में पानी की कमी से स्किन ड्राई हो सकती है, इसलिए दिनभर खूब पानी पीना जरूरी है।
- धूल-मिट्टी और तेज धूप से बचाव: बाहर निकलते समय छाया ढूंढें या कपड़े से चेहरा ढकें ताकि धूप और प्रदूषण से स्किन सुरक्षित रहे।
- ज्यादा बार साबुन न लगाएं: दिन में एक बार ही साबुन लगाना पर्याप्त है, वरना स्किन रूखी हो सकती है।
- स्ट्रेस कम करें: योग या मेडिटेशन करने से मन शांत रहता है, जिससे त्वचा संबंधी समस्याएं भी कंट्रोल में रहती हैं।
ध्यान रखें कि हर किसी की त्वचा अलग होती है—अगर कोई घरेलू उपाय आपको सूट न करे तो उसका इस्तेमाल बंद कर दें और डॉक्टर की सलाह लें। सही हाइजीन और देशी नुस्खों के सहारे आप अपनी स्किन की देखभाल आसानी से कर सकते हैं!
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3. भारतीय जलवायु के अनुसार स्किन प्रोटेक्शन
भारत में मौसम कभी गर्म, कभी उमस भरा तो कभी ठंडा रहता है। ऐसे में एक्जिमा और सोरायसिस जैसी स्किन प्रॉब्लम्स के लिए सही देखभाल बेहद जरूरी हो जाती है। चलिए जानते हैं, अलग-अलग मौसम में स्किन को कैसे बचाएँ और क्या-क्या सावधानियाँ अपनाएँ।
गर्मी (Summer) में स्किन की देखभाल
- हल्के, नॉन-ऑयली मॉइश्चराइज़र का इस्तेमाल करें।
- धूप में निकलने से पहले SPF 30 या उससे ऊपर का सनस्क्रीन जरूर लगाएँ।
- पसीना आने पर बार-बार चेहरा ताजे पानी से धोएँ, लेकिन बहुत ज्यादा साबुन न लगाएँ।
- कॉटन के ढीले कपड़े पहनें ताकि स्किन सांस ले सके।
बरसात (Monsoon) में स्किन की देखभाल
- नमी के कारण फंगल इन्फेक्शन जल्दी हो सकता है, इसलिए स्किन को सूखा रखें।
- हल्के एंटीफंगल पाउडर का इस्तेमाल कर सकते हैं (डॉक्टर की सलाह लें)।
- मॉइश्चराइजर हल्का ही चुनें, ताकि पोर्स ब्लॉक न हों।
- गीले कपड़े या जूते तुरंत बदलें।
ठंड (Winter) में स्किन की देखभाल
- इस मौसम में रूखापन बढ़ जाता है, इसलिए गाढ़ा मॉइश्चराइज़र दिन में 2-3 बार लगाएँ।
- गर्म पानी से नहाने से बचें; गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें।
- स्किन को रगड़-रगड़कर न पोंछें, हल्के हाथ से सुखाएँ।
- लिप बाम और हैंड क्रीम का भी इस्तेमाल करें।
मौसम के हिसाब से स्किन केयर रूटीन तुलना तालिका:
| मौसम | क्या करें? | क्या न करें? |
|---|---|---|
| गर्मी | हल्का मॉइश्चराइजर, सनस्क्रीन, कॉटन कपड़े | ज्यादा ऑयली प्रोडक्ट्स, सिंथेटिक कपड़े |
| बरसात | स्किन सूखी रखें, हल्का मॉइश्चराइजर, एंटीफंगल पाउडर | गीले कपड़े देर तक पहनना, हेवी क्रीम्स यूज करना |
| ठंड | गाढ़ा मॉइश्चराइजर, लिप बाम, गुनगुना पानी | बहुत गर्म पानी, त्वचा को रगड़ना |
भारतीय घरेलू सुझाव:
- नारियल तेल या एलोवेरा जेल का प्रयोग करें – ये नेचुरल तरीके से स्किन को सॉफ्ट और हेल्दी बनाते हैं।
- हल्दी और बेसन का लेप कई बार खुजली और सूजन को कम करता है (लेकिन पहले पैच टेस्ट जरूर करें)।
- भरपूर पानी पिएँ और ताजे फल-सब्जियाँ खाएँ – इससे शरीर अंदर से हाइड्रेटेड रहता है।
हर मौसम के अनुसार अपनी स्किन केयर रूटीन बदलना जरूरी है, खासकर जब एक्जिमा या सोरायसिस जैसी समस्या हो। छोटी-छोटी सावधानियों से काफी राहत मिल सकती है। अगर कोई समस्या ज्यादा बढ़ जाए तो डर्मेटोलॉजिस्ट से सलाह जरूर लें।
4. आहार और पोषण का महत्व
एक्जिमा और सोरायसिस जैसी स्किन प्रॉब्लम्स को मैनेज करने में सिर्फ बाहरी स्किन केयर ही नहीं, बल्कि हमारे रोज़मर्रा के खानपान का भी बहुत बड़ा रोल है। भारतीय रसोई में कई ऐसी चीज़ें हैं जो स्किन की हेल्थ को बेहतर बना सकती हैं या फिर कभी-कभी दिक्कत भी बढ़ा सकती हैं। आइए जानते हैं कि किन भारतीय फूड्स को डाइट में शामिल करें और किन्हें अवॉइड करना चाहिए।
भारतीय खानपान: क्या खाएं, क्या न खाएं?
| शामिल करें (Include) | परहेज़ करें (Avoid) |
|---|---|
| फल और सब्ज़ियाँ (जैसे पालक, गाजर, सेब, अमरूद) | तेल में तली चीज़ें (समोसा, पकौड़ा आदि) |
| अलसी/चिया सीड्स (Omega-3 के लिए) | बहुत मसालेदार और तीखे फूड्स |
| हल्दी और अदरक (प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी) | प्रोसेस्ड फूड्स (बिस्किट, चिप्स, नमकीन) |
| दही/छाछ (प्रोबायोटिक्स के लिए)* | बहुत ज्यादा चीनी वाले फूड्स और शरबत |
| नारियल पानी/नींबू पानी (हाइड्रेशन के लिए) | कृत्रिम रंग व स्वाद वाले ड्रिंक्स |
*अगर दही से एलर्जी या तकलीफ हो तो अवॉइड करें।
आहार क्यों है जरूरी?
हमारे शरीर की अंदरूनी सेहत स्किन पर साफ नजर आती है। जब हम विटामिन A, C, E जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स, अच्छी क्वालिटी फैट्स और प्रोटीन से भरपूर खाना खाते हैं तो इम्यून सिस्टम स्ट्रॉन्ग होता है और स्किन जल्दी रिकवर करती है। वहीं जंक फूड, तला-भुना या ज्यादा मीठा खाने से सूजन बढ़ सकती है जिससे एक्जिमा व सोरायसिस के लक्षण भी भड़क सकते हैं।
खास टिप्स:
- खूब पानी पिएं – हाइड्रेशन से स्किन सॉफ्ट रहती है।
- हर मील में थोड़ी-थोड़ी हरी सब्जियां जरूर शामिल करें।
- घर का ताजा बना खाना सबसे अच्छा है। बाहर के पैकेज्ड या स्ट्रीट फूड से बचें।
- अगर किसी खास चीज़ से एलर्जी हो तो तुरंत डॉक्टर या डायटीशियन से सलाह लें।
याद रखें:
हर किसी की बॉडी अलग होती है इसलिए जो चीज़ एक को फायदा देती है वो दूसरे को नुकसान भी कर सकती है। अपनी डाइट धीरे-धीरे बदलें और असर नोट करें – यही सबसे आसान तरीका है स्किन फ्रेंडली इंडियन डाइट अपनाने का!
5. योग, आयुर्वेद और घरेलू उपचार
इस सेक्शन में हम भारतीय योग, प्राणायाम, आयुर्वेदिक तेल और हर्बल नुस्खों के बारे में डिस्कस करेंगे जो स्किन केयर रूटीन में मददगार हो सकते हैं।
योग और प्राणायाम
योग और प्राणायाम न सिर्फ आपके मन को शांत करते हैं, बल्कि त्वचा की सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद माने जाते हैं। नियमित योगासन और साँस लेने की तकनीकें जैसे कि अनुलोम-विलोम, भ्रामरी और कपालभाति शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ाती हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत करती हैं, जिससे एक्जिमा व सोरायसिस जैसी स्किन प्रॉब्लम्स में राहत मिल सकती है।
आसान योगासन स्किन के लिए
| योगासन | फायदा |
|---|---|
| बालासन (Child Pose) | तनाव कम करता है, त्वचा को रिलैक्स करता है |
| अधोमुख श्वानासन (Downward Dog) | ब्लड सर्कुलेशन बेहतर बनाता है, त्वचा चमकदार बनती है |
| त्रिकोणासन (Triangle Pose) | स्किन डिटॉक्स में मदद करता है |
आयुर्वेदिक तेल और जड़ी-बूटियाँ
भारतीय घरों में सदियों से कई आयुर्वेदिक तेल और जड़ी-बूटियाँ इस्तेमाल होती आ रही हैं जो खासतौर पर एक्जिमा और सोरायसिस जैसी समस्याओं के लिए असरदार मानी जाती हैं।
आयुर्वेदिक तेल व उनका उपयोग
| तेल/हर्बल उपाय | उपयोग विधि | फायदे |
|---|---|---|
| नीम का तेल | रात में हल्के हाथों से प्रभावित जगह पर लगाएँ | एंटीबैक्टीरियल, खुजली व सूजन कम करता है |
| नारियल तेल | नहाने के बाद हल्की मालिश करें | त्वचा को मॉइस्चराइज करता है, ड्राइनेस घटाता है |
| एलोवेरा जेल | सीधे घाव या रैश पर लगाएँ | ठंडक देता है, जलन व लालपन कम करता है |
| हल्दी पेस्ट (दूध या दही के साथ) | 15 मिनट तक लगाकर धो लें | एंटी-इंफ्लेमेटरी, स्किन हीलिंग में मददगार |
घरेलू नुस्खे जो आसानी से अपनाएँ जा सकते हैं:
- ओटमील बाथ: गुनगुने पानी में ओट्स डालकर स्नान करें। इससे खुजली व जलन में तुरंत आराम मिलता है।
- मुल्तानी मिट्टी पैक: मुल्तानी मिट्टी को गुलाबजल के साथ मिलाकर लगाएँ। यह स्किन को ठंडक देता है और टॉक्सिन्स निकालता है।
- सरसों का तेल: हल्का गर्म करके रात को लगाएँ, इससे त्वचा की नमी बरकरार रहती है।
- ताजा दही: दही सीधे प्रभावित हिस्से पर लगाने से त्वचा मुलायम होती है और जलन कम होती है।
- पुदीना पेस्ट: पुदीने की पत्तियों को पीसकर लगाने से राहत मिलती है, खासकर गर्मी के मौसम में।
इन भारतीय योगासन, आयुर्वेदिक उपायों और घरेलू नुस्खों को अपने डेली स्किन केयर रूटीन में शामिल करने से एक्जिमा व सोरायसिस जैसी स्किन समस्याओं में काफी सुधार महसूस किया जा सकता है। इन सब उपायों को अपनाते वक्त हमेशा त्वचा की सफाई का ध्यान रखें और किसी भी चीज़ से एलर्जी हो तो उसका इस्तेमाल न करें।
6. डॉक्टर कब मिलें: जरूरी संकेत
अगर आप एक्जिमा या सोरायसिस से जूझ रहे हैं, तो स्किन केयर रूटीन फॉलो करना जरूरी है। लेकिन कई बार कुछ ऐसी स्थितियां आ जाती हैं, जब आपको घरेलू उपायों से ज्यादा डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी हो जाता है। यहां हम आपको बताते हैं भारतीय संदर्भ में किन संकेतों पर तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए और कौन सी सरकारी या प्राइवेट सुविधाएं उपलब्ध हैं।
डॉक्टर से मिलने के जरूरी संकेत
| संकेत | क्या करें? |
|---|---|
| त्वचा पर तेज जलन, सूजन या मवाद | फौरन डर्मेटोलॉजिस्ट से मिलें |
| बार-बार खून आना या घाव न भरना | सरकारी अस्पताल या क्लिनिक जाएं |
| घरेलू इलाज से आराम न मिलना | विशेषज्ञ की सलाह लें |
| तेज बुखार या कमजोरी के साथ रैशेज आना | इमरजेंसी मेडिकल मदद लें |
| त्वचा का रंग या बनावट बदलना | स्किन स्पेशलिस्ट को दिखाएं |
भारत में उपलब्ध लोकल सुविधाएं
सरकारी सुविधाएं:
- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC): गांव और छोटे शहरों में आसानी से उपलब्ध। यहां सामान्य जांच और दवाइयां मुफ्त मिलती हैं।
- जिला अस्पताल: बड़े केस के लिए रेफर किया जा सकता है। यहां स्पेशलिस्ट भी आते हैं।
- Aarogya Setu & Ayushman Bharat: इन योजनाओं के तहत गरीब और जरूरतमंद लोगों को मुफ्त इलाज की सुविधा मिलती है।
प्राइवेट सुविधाएं:
- प्राइवेट क्लिनिक: अगर आप जल्दी अपॉइंटमेंट चाहते हैं तो पास के किसी डर्मेटोलॉजिस्ट को दिखा सकते हैं। यहां फीस थोड़ी ज्यादा हो सकती है।
- स्किन स्पेशलिटी हॉस्पिटल्स: बड़े शहरों में ऐसे अस्पताल उपलब्ध हैं जहां लेटेस्ट ट्रीटमेंट मिलता है।
- ऑनलाइन कंसल्टेशन: Practo, Apollo 24×7 जैसी वेबसाइट्स पर घर बैठे डॉक्टर से बात कर सकते हैं।
ध्यान दें:
अगर आपकी स्थिति बिगड़ रही हो, दर्द या इन्फेक्शन बढ़ रहा हो, या स्किन केयर रूटीन से कोई सुधार नहीं दिख रहा हो, तो देरी ना करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। भारत में हर बजट और जरूरत के हिसाब से इलाज की सुविधा मौजूद है, बस सही समय पर मदद लेना जरूरी है।

