1. भारत में एंटी-एजिंग फेशियल्स की अवधारणा और लोकप्रियता
भारत में सौंदर्य और त्वचा देखभाल का एक लंबा इतिहास रहा है, जिसमें प्राकृतिक जड़ी-बूटियों, आयुर्वेदिक तत्वों और घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल सदियों से होता आ रहा है। हाल के वर्षों में, एंटी-एजिंग फेशियल्स का चलन तेजी से बढ़ा है। ये फेशियल्स त्वचा को जवां, ताजा और चमकदार बनाए रखने के लिए बनाए जाते हैं। भारतीय महिलाएँ ही नहीं, पुरुष भी अब इन फेशियल्स की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
एंटी-एजिंग फेशियल्स भारतीय सौंदर्य संस्कृति में कैसे प्रवेश कर रहे हैं?
पहले जहां केवल पारंपरिक उबटन या बेसन-हल्दी का फेसपैक लगाया जाता था, वहीं आजकल शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में स्पा और सैलून में आधुनिक एंटी-एजिंग फेशियल्स उपलब्ध हैं। ये फेशियल्स आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के साथ-साथ विटामिन सी, हयालुरोनिक एसिड, कोलेजन जैसे अंतरराष्ट्रीय तत्वों के साथ तैयार किए जा रहे हैं। इससे यह पता चलता है कि भारतीय सौंदर्य संस्कृति अब वैश्विक ट्रेंड्स को अपनाते हुए अपनी परंपरा के साथ तालमेल बैठा रही है।
विभिन्न आयु वर्गों में एंटी-एजिंग फेशियल्स की लोकप्रियता
आयु वर्ग | लोकप्रियता स्तर | फोकस बिंदु |
---|---|---|
20-30 वर्ष | मध्यम | प्रिवेंटिव स्किनकेयर, ग्लोइंग स्किन |
31-45 वर्ष | अधिक | फाइन लाइन्स, एजिंग साइन रोकना |
46+ वर्ष | बहुत अधिक | रिंकल्स कम करना, त्वचा को टाइट बनाना |
लोकप्रियता क्यों बढ़ रही है?
शहरों में बढ़ते प्रदूषण, तनावपूर्ण जीवनशैली और सोशल मीडिया के प्रभाव से लोग पहले से ज्यादा अपनी त्वचा की देखभाल करने लगे हैं। इसलिए हर राज्य में लोग अपनी जरूरत और त्वचा के अनुसार अलग-अलग तरह के एंटी-एजिंग फेशियल्स चुन रहे हैं। पारंपरिक जड़ी-बूटियाँ और नए वैज्ञानिक तत्व मिलकर भारतीय उपभोक्ताओं को आकर्षित कर रहे हैं। इससे एंटी-एजिंग फेशियल्स सभी उम्र के लोगों के लिए पसंदीदा विकल्प बन गए हैं।
2. उत्तरी भारत के पारंपरिक और आधुनिक एंटी-एजिंग फेशियल्स
उत्तरी भारत के राज्यों जैसे पंजाब, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में, एंटी-एजिंग फेशियल्स की परंपरा बहुत पुरानी है। यहां पारंपरिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल सदियों से होता आ रहा है, वहीं आजकल आधुनिक तकनीकों का भी खूब चलन है। ये दोनों प्रकार के फेशियल्स त्वचा को जवान बनाए रखने में मदद करते हैं।
पारंपरिक जड़ी-बूटियों का उपयोग
उत्तर भारत में नीम, हल्दी, बेसन, गुलाबजल, चंदन पाउडर जैसी जड़ी-बूटियाँ सदियों से त्वचा की देखभाल के लिए लोकप्रिय हैं। ये न केवल त्वचा को साफ करती हैं बल्कि झुर्रियों और दाग-धब्बों को कम करने में भी मदद करती हैं। नीचे कुछ प्रमुख पारंपरिक सामग्री और उनके लाभ दिए गए हैं:
जड़ी-बूटी/सामग्री | लाभ | प्रयोग विधि |
---|---|---|
नीम | एंटी-बैक्टीरियल, पिंपल्स में राहत | नीम पत्तों का पेस्ट फेस पैक में मिलाएं |
हल्दी | स्किन ब्राइटनिंग, एंटी-इंफ्लेमेटरी | हल्दी और दही का पेस्ट लगाएं |
गुलाबजल | हाइड्रेशन, स्किन टोनर | कॉटन की सहायता से चेहरे पर लगाएं |
चंदन पाउडर | कूलिंग इफेक्ट, झाइयों में कमी | दूध या गुलाबजल के साथ मिलाकर फेस मास्क बनाएं |
आधुनिक तकनीकों की भूमिका
आज के समय में उत्तरी भारत के बड़े शहरों जैसे दिल्ली और लखनऊ में हाई-टेक सैलून एवं क्लीनिक्स उपलब्ध हैं। यहां माइक्रोडर्माब्रेशन, केमिकल पील्स, हायड्रा फेशियल और लेजर ट्रीटमेंट जैसी सेवाएँ दी जाती हैं। ये आधुनिक तकनीकें त्वचा की गहराई से सफाई करती हैं और नई कोशिकाओं को उत्पन्न करने में मददगार होती हैं। इससे त्वचा लंबे समय तक यंग दिखती है।
पारंपरिक और आधुनिक फेशियल्स का संयोजन
अक्सर देखा जाता है कि लोग दोनों ही तरीकों का संयोजन अपनाते हैं— पहले घर पर जड़ी-बूटियों से बने फेस पैक लगाते हैं और कभी-कभी सैलून जाकर प्रोफेशनल फेशियल करवाते हैं। इस तरह प्राकृतिक और वैज्ञानिक दोनों ही तरीकों का लाभ मिलता है। यह ट्रेंड खासतौर पर पंजाब, दिल्ली व उत्तर प्रदेश के युवा वर्ग में तेजी से बढ़ रहा है।
सुझाव: अपनी त्वचा की जरूरत के हिसाब से ही पारंपरिक या आधुनिक फेशियल चुनें और हमेशा किसी एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।
3. दक्षिण भारतीय राज्यों में प्राकृतिक एंटी-एजिंग फेशियल रिवाज
केरला, तमिलनाडु और कर्नाटक में प्राचीन सौंदर्य परंपराएँ
दक्षिण भारत के राज्य जैसे केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक में त्वचा की देखभाल के लिए पारंपरिक और प्राकृतिक तरीके अपनाए जाते हैं। यहाँ के लोग अपनी सांस्कृतिक विरासत और स्थानीय उपलब्ध सामग्रियों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे चेहरे को जवां और ताजा बनाए रखने में मदद मिलती है।
प्राकृतिक तेलों का महत्व
इन राज्यों में नारियल तेल, तिल का तेल और बादाम का तेल बहुत लोकप्रिय हैं। ये तेल न केवल मॉइस्चराइज़र की तरह काम करते हैं, बल्कि त्वचा को पोषण भी देते हैं और बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करने में मददगार होते हैं।
तेल | मुख्य लाभ | उपयोग का तरीका |
---|---|---|
नारियल तेल | हाइड्रेटिंग, त्वचा को मुलायम बनाता है | रात को सोने से पहले हल्के मसाज में |
तिल का तेल | एंटीऑक्सीडेंट, त्वचा की चमक बढ़ाता है | फेस मास्क या मसाज ऑइल के रूप में |
बादाम का तेल | झुर्रियां कम करता है, विटामिन E से भरपूर | आंखों के नीचे व चेहरे पर हल्का लगाएं |
आयुर्वेदिक सामग्री और फेस पैक
दक्षिण भारत में आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों जैसे नीम, हल्दी, चंदन और तुलसी का फेशियल्स में खूब उपयोग होता है। ये सामग्रियाँ त्वचा की गहराई से सफाई करती हैं और उसे प्राकृतिक रूप से जवान बनाए रखती हैं। महिलाएँ घर पर ही इनका लेप तैयार कर लेती हैं। उदाहरण के लिए:
- हल्दी फेस पैक: हल्दी पाउडर, दही और शहद मिलाकर चेहरे पर लगाना। यह झाइयाँ व झुर्रियाँ कम करता है।
- नीम फेस पैक: नीम पत्तियों का पेस्ट बनाकर लगाने से मुंहासे दूर रहते हैं और स्किन फ्रेश दिखती है।
- चंदन लेप: चंदन पाउडर व गुलाबजल मिलाकर लगाने से त्वचा पर ठंडक मिलती है व एजिंग साइन धीमे पड़ते हैं।
सामुदायिक फेशियल प्रथाएँ और रीति-रिवाज
इन राज्यों में सामूहिक रूप से उबटन (पारंपरिक स्क्रब) लगाने, त्योहारों या खास मौकों पर हर्बल स्नान करने की परंपरा है। परिवार की महिलाएँ एक साथ मिलकर प्राकृतिक सामग्री से चेहरे की देखभाल करती हैं, जिससे संबंध मजबूत होते हैं और सुंदरता भी बनी रहती है।
इस प्रकार दक्षिण भारत में प्राकृतिक तेलों, आयुर्वेदिक सामग्रियों और सामुदायिक रिवाजों के मेल से एंटी-एजिंग फेशियल्स को अनूठा स्थान प्राप्त है। ये विधियाँ आज भी लोगों की पहली पसंद बनी हुई हैं।
4. पूर्वोत्तर भारत के वनस्पति-आधारित फेशियल्स
पूर्वोत्तर भारत की प्राकृतिक संपदा और सौंदर्य
पूर्वोत्तर भारत, खासकर आसाम, नागालैंड और मणिपुर जैसे राज्य, अपनी समृद्ध जैव-विविधता और प्राकृतिक जड़ी-बूटियों के लिए प्रसिद्ध हैं। यहां की महिलाएँ सदियों से स्थानीय पौधों, फूलों और औषधीय जड़ी-बूटियों का उपयोग अपनी त्वचा की देखभाल में करती आई हैं। इन राज्यों में मिलने वाली एंटी-एजिंग फेशियल्स में पारंपरिक ज्ञान और आयुर्वेदिक तत्वों का सुंदर मेल देखने को मिलता है।
स्थानीय पौधे और जड़ी-बूटियाँ
राज्य | प्रमुख वनस्पति/जड़ी-बूटी | त्वचा पर लाभ |
---|---|---|
आसाम | मोगरा (Jasmine), हल्दी (Turmeric), बांस के चारकोल | त्वचा को उज्जवल बनाना, सूजन कम करना, डिटॉक्सिफिकेशन |
नागालैंड | कुकुरमुत्ता (Mushroom extracts), नागा अदरक (Naga Ginger) | फाइन लाइन्स कम करना, त्वचा को पोषण देना |
मणिपुर | लोकेई फूल (Lotus), हिबिस्कस, ग्रीन टी एक्सट्रैक्ट्स | हाइड्रेशन, स्किन टाइटनिंग, चमक बढ़ाना |
कैसे किए जाते हैं ये फेशियल्स?
इन राज्यों में पारंपरिक रूप से महिलाएँ घर पर ही ताजे पौधों या फूलों का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाती हैं। कई जगहों पर लोकल स्पा और ब्यूटी क्लीनिक्स भी इन प्राकृतिक सामग्रियों से बने फेस पैक व मास्क उपलब्ध कराते हैं। उदाहरण के लिए:
- आसाम में: मोगरा फूल और हल्दी का पेस्ट चेहरे पर लगाया जाता है जिससे त्वचा नरम और जवान दिखती है।
- नागालैंड में: कुकुरमुत्ता एक्सट्रैक्ट्स का प्रयोग झुर्रियों को कम करने के लिए किया जाता है।
- मणिपुर में: हिबिस्कस और लोकेई फूल का फेस मास्क त्वचा को टाइट करता है और उसकी नमी बरकरार रखता है।
स्थानीय बोली व संस्कृतिक महत्व
यहाँ के फेशियल रिवाज न सिर्फ सुंदरता से जुड़े हैं, बल्कि परिवार और समुदाय के बीच सांस्कृतिक बंधन भी मजबूत करते हैं। त्योहारों या शादी जैसे खास मौकों पर महिलाएँ मिलकर एक-दूसरे को ये प्राकृतिक फेशियल्स करती हैं जो स्थानीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। ऐसे पारंपरिक तरीकों की वजह से पूर्वोत्तर भारत के एंटी-एजिंग फेशियल्स पूरे देश में लोकप्रिय हो रहे हैं।
5. पश्चिमी भारत में उपलब्ध एंटी-एजिंग समाधानों का विशेष मिश्रण
महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान में एंटी-एजिंग फेशियल्स की विविधता
पश्चिमी भारत के राज्यों जैसे महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान में एंटी-एजिंग फेशियल्स की परंपरा बहुत समृद्ध है। यहां शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में पुराने घरेलू नुस्खों से लेकर आधुनिक तकनीकों तक कई तरह के विकल्प मिलते हैं। आइए जानते हैं कि इन राज्यों में प्राचीन और नवीन फेशियल्स किस प्रकार से लोकप्रिय हैं:
परंपरागत (Traditional) फेशियल्स
राज्य | प्राचीन विधि | प्रमुख सामग्री |
---|---|---|
महाराष्ट्र | उबटन व हल्दी-चंदन फेस पैक | हल्दी, बेसन, चंदन, दूध |
गुजरात | मुल्तानी मिट्टी व दही-मसूर फेस पैक | मुल्तानी मिट्टी, दही, मसूर दाल |
राजस्थान | गुलाब जल व केसर फेस मास्क | गुलाब जल, केसर, मलाई, मिट्टी |
आधुनिक (Modern) फेशियल्स एवं थेरेपीज़
- महाराष्ट्र (मुंबई, पुणे आदि शहरों में): यहां हर्बल फेशियल्स के साथ-साथ हायड्रा फेशियल और केमिकल पील्स भी लोकप्रिय हैं। कई स्पा विटामिन सी फेशियल या कोलेजन बूस्टिंग ट्रीटमेंट भी देते हैं।
- गुजरात (अहमदाबाद, सूरत): यहां एलोवेरा जेमस्टोन फेशियल और ऑर्गेनिक स्किन रिवाइटलाइजेशन ट्रीटमेंट पसंद किए जाते हैं। शहरी महिलाओं में क्लिनिकल थेरेपीज़ का चलन बढ़ रहा है।
- राजस्थान (जयपुर, जोधपुर): यहां आयुर्वेदिक पंचकर्मा फेशियल, गुलाब अर्क और खादी प्रोडक्ट्स से बने फेशियल्स आम हैं। कुछ जगहों पर गोल्ड फेशियल भी लोकप्रिय है।
ग्रामीण बनाम शहरी क्षेत्रों की खासियतें
क्षेत्र | फेस पैक/फेशियल्स की विशेषता | लोकप्रिय सामग्री/तकनीकें |
---|---|---|
शहरी क्षेत्र (Urban) | आधुनिक तकनीक आधारित; त्वरित परिणाम देने वाले; ब्रांडेड प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल ज्यादा | हायड्रा फेशियल, विटामिन सी सीरम, ऑर्गेनिक ब्रांड्स, क्लीनिकल थेरेपीज़ |
ग्रामीण क्षेत्र (Rural) | घरेलू उपाय; प्राकृतिक व स्थानीय सामग्री का उपयोग; पीढ़ियों से चली आ रही परंपराएं | हल्दी, बेसन, मुल्तानी मिट्टी, देसी घी, नींबू रस आदि घरेलू चीज़ें |
स्थानीय बोली और सांस्कृतिक प्रभाव:
पश्चिमी भारत के हर राज्य में लोकल भाषा और संस्कृति का असर साफ देखा जा सकता है। जैसे महाराष्ट्र की महिलाएं पारंपरिक “उबटन” को शादी-ब्याह या त्यौहारों पर जरूर अपनाती हैं। गुजरात की महिलाएं “मुल्तानी माटी” को गर्मियों में ठंडक पाने के लिए चेहरे पर लगाती हैं। राजस्थान में “गुलाब जल” और “केसर” का प्रयोग रॉयल लुक के लिए प्रसिद्ध है। आजकल युवा पीढ़ी इन पारंपरिक तरीकों को मॉडर्न फेशियल्स के साथ मिलाकर अपनाने लगी है जिससे उन्हें प्राकृतिक चमक और आधुनिक ग्लो दोनों मिल सके।
6. फेशियल्स चुनने के दौरान ध्यान देने योग्य सांस्कृतिक और climatic factors
राज्यवार मौसम, जीवनशैली व सांस्कृतिक प्राथमिकताओं का स्किनकेयर पर प्रभाव
भारत के अलग-अलग राज्यों में मौसम, लोगों की जीवनशैली और उनकी सांस्कृतिक पसंद-नापसंद में काफी विविधता देखने को मिलती है। यही विविधता एंटी-एजिंग फेशियल्स के चयन और उनके असर पर भी सीधा असर डालती है। नीचे दिए गए टेबल में कुछ प्रमुख राज्यों की जलवायु, वहां की आम जीवनशैली, सांस्कृतिक प्राथमिकताएँ और उपयुक्त एंटी-एजिंग फेशियल्स के सुझाव दिए गए हैं:
राज्य | मौसम | जीवनशैली | सांस्कृतिक प्राथमिकता | सुझावित एंटी-एजिंग फेशियल्स |
---|---|---|---|---|
उत्तर प्रदेश | गर्म व शुष्क/ठंडी सर्दियाँ | मिलीजुली, ग्रामीण व शहरी | आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ | हर्बल/आयुर्वेदिक फेशियल्स |
पंजाब | काफी ठंडा व गर्मियां तेज़ | शारीरिक रूप से सक्रिय | दूध, दही, बेसन का उपयोग | मिल्क प्रोटीन, योगर्ट बेस्ड फेशियल्स |
तमिलनाडु | गर्म और आर्द्र (humid) | हल्की दिनचर्या, नारियल तेल का उपयोग अधिक | प्राकृतिक तेलों की अहमियत | नारियल ऑयल व एलोवेरा फेशियल्स |
राजस्थान | बहुत शुष्क और गर्म | खुली धूप में रहना आम बात | चंदन, मुल्तानी मिट्टी पसंदीदा | मड पैक, चंदन बेस्ड फेशियल्स |
असम | नमी वाली जलवायु, बारिश अधिक | प्राकृतिक हर्बल चीज़ों का इस्तेमाल अधिक | ग्रीन टी, बांस आदि लोकप्रिय सामग्री | ग्रीन टी एक्सट्रैक्ट, हर्बल फेशियल्स |
केरल | आर्द्र (humid), तटीय क्षेत्र | आयुर्वेदिक रिवाज गहरे | सिद्धा और आयुर्वेद पद्धति | आयुर्वेदिक हर्बल ऑयल फेशियल्स |
महाराष्ट्र (मुंबई) | आर्द्रता अधिक, प्रदूषण ज्यादा | तेज लाइफस्टाइल | त्वचा की सफाई जरूरी | D-Tan और क्लीनिंग फेशियल्स |
कैसे चुनें सही एंटी-एजिंग फेशियल?
- मौसम के अनुसार: अगर आप उत्तर भारत में रहते हैं तो ठंड के मौसम में मॉइस्चराइजिंग वाले फेशियल चुनें। दक्षिण भारत या तटीय क्षेत्रों में हल्के, non-greasy फेशियल बेहतर होते हैं।
- जीवनशैली: जो लोग ज्यादा समय बाहर बिताते हैं, उन्हें डस्ट और पोल्यूशन से बचाव वाले डीप-क्लीनिंग या डिटॉक्सिफाइंग फेशियल चुनना चाहिए।
- सांस्कृतिक प्राथमिकताएं: अगर आप आयुर्वेद या घरेलू नुस्खों को महत्व देते हैं तो प्राकृतिक हर्बल/ऑयल बेस्ड फेशियल आपके लिए बेस्ट रहेंगे।
छोटे टिप्स:
- अपने राज्य की पारंपरिक सामग्रियों का उपयोग करें – जैसे मुल्तानी मिट्टी (राजस्थान), नारियल तेल (तमिलनाडु), दूध/दही (पंजाब)।
- मौसम बदलने पर स्किनकेयर रूटीन भी बदलें ताकि त्वचा स्वस्थ रहे।
हर राज्य की अपनी अनूठी पहचान है – उसी अनुसार एंटी-एजिंग स्किनकेयर का चयन करना आपकी त्वचा को लंबे समय तक जवां बनाए रखने में मदद करेगा।
7. भारत में एंटी-एजिंग फेशियल्स के भविष्य की दिशा
भारतीय स्किनकेयर बाजार में बढ़ती रुचि
पिछले कुछ वर्षों में, भारत में एंटी-एजिंग फेशियल्स की मांग तेजी से बढ़ी है। आजकल लोग न केवल खूबसूरती को लेकर जागरूक हैं, बल्कि वे अपनी त्वचा की सेहत और उम्र के प्रभाव को कम करने के लिए भी गंभीर हैं। खासकर मेट्रो शहरों में युवाओं और वयस्कों के बीच एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट्स काफी लोकप्रिय हो रहे हैं।
कॉन्टेम्पररी ट्रेंड्स और तकनीकी विकास
नवीनतम ट्रेंड्स की बात करें तो, हर्बल और ऑर्गेनिक इंग्रेडिएंट्स पर ज़ोर दिया जा रहा है। इसके अलावा, टेक्नोलॉजी-बेस्ड फेशियल्स जैसे LED थेरेपी, हाइड्रा फेशियल और माइक्रोडर्माब्रेशन अब बड़े शहरों से होते हुए छोटे शहरों तक पहुँच रहे हैं। लोग अब ऐसे फेशियल्स चुन रहे हैं जो त्वचा को भीतर से रिपेयर कर सकें और लंबे समय तक चमकदार बना सकें।
भारत के विभिन्न राज्यों में एंटी-एजिंग फेशियल्स का चलन
राज्य | लोकप्रिय एंटी-एजिंग फेशियल्स | स्थानीय तत्वों का उपयोग |
---|---|---|
महाराष्ट्र (मुंबई) | हाइड्रा फेशियल, गोल्ड फेशियल | सैंडलवुड, हल्दी |
पंजाब (चंडीगढ़) | फ्रूट एक्स्ट्रैक्ट फेशियल, LED थेरेपी | एलोवेरा, बेसन |
तमिलनाडु (चेन्नई) | हर्बल एंटी-एजिंग फेशियल्स | नीम, तुलसी, चंदन |
राजस्थान (जयपुर) | गोल्ड और केसर फेशियल्स | केसर, गुलाब जल |
पश्चिम बंगाल (कोलकाता) | ऑर्गेनिक एंटी-एजिंग फेशियल्स | मुल्तानी मिट्टी, आमला |
ग्राहकों की बदलती पसंद और नए अवसर
आज की युवा पीढ़ी प्राकृतिक और सुरक्षित विकल्पों की ओर बढ़ रही है। साथ ही, महिलाएं ही नहीं पुरुष भी इन सेवाओं को अपनाने लगे हैं। सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग ब्यूटी रूटीन ने भी लोगों को नई तकनीकों और उत्पादों के बारे में जागरूक किया है। इससे स्थानीय सैलून और स्किन क्लीनिक्स को अपने सर्विस पोर्टफोलियो को अपग्रेड करने का मौका मिल रहा है।
भविष्य में संभावित बदलाव:
- इनोवेटिव प्रोडक्ट्स: आयुर्वेदिक फार्मूलेशन और इंटरनेशनल ब्रांड्स का मिश्रण बढ़ेगा।
- डिजिटल कंसल्टेशन: ऑनलाइन स्किन एनालिसिस और पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट प्लान ज्यादा लोकप्रिय होंगे।
- सस्टेनेबल ब्यूटी: इको-फ्रेंडली पैकेजिंग और क्रुएल्टी-फ्री उत्पादों की मांग बढ़ेगी।
भारत में एंटी-एजिंग फेशियल इंडस्ट्री लगातार विकसित हो रही है और आने वाले समय में इसमें कई नए इनोवेशन देखने को मिल सकते हैं। इससे ग्राहकों को बेहतर विकल्प मिलेंगे और उनकी त्वचा संबंधी जरूरतों का समाधान भी आसान होगा।